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इमरजेंसी Movie – 🌟🌟🌟🌟🌟🌟

इमरजेंसी Movie Release Date: फाइनली कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी’ इस दिन हो रही रिलीज, सेंसर बोर्ड से मिली हरी झंडी 

इमरजेंसी Movie – 🌟🌟🌟🌟🌟🌟

इस फोटो में कंगना रनौत, इंदिरा गांधी के किरदार में, गंभीर और आत्मविश्वासपूर्ण मुद्रा में नजर आ रही हैं। "इमरजेंसी:
“इमरजेंसी: सत्ता और लोकतंत्र के बीच टकराव का ऐतिहासिक दृश्य।”

“इमरजेंसी” एक आगामी भारतीय हिंदी-भाषा की बायोग्राफिकल राजनीतिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन और सह-निर्माण कंगना रनौत ने किया है। इसकी पटकथा रितेश शाह ने लिखी है और कहानी कंगना रनौत द्वारा तैयार की गई है। यह फिल्म भारतीय आपातकाल (1975-77) पर आधारित है और इसमें कंगना रनौत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की भूमिका निभा रही हैं।

फिल्म में अन्य मुख्य भूमिकाओं में अनुपम खेर, श्रेयस तलपड़े, विशाल नायर, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन और सतीश कौशिक नजर आएंगे।

निर्माण और रिलीज़

इस फिल्म की मुख्य शूटिंग जुलाई 2022 में शुरू हुई और जनवरी 2023 में पूरी हो गई। पहले इसे 6 सितंबर 2024 को रिलीज़ किया जाना था, लेकिन सेंसर बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से मंजूरी न मिलने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।

अब फिल्म को सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिल गई है और यह 17 जनवरी 2025 को रिलीज़ होने के लिए तैयार है।

कास्ट

“इमरजेंसी”फि ल्म में निम्नलिखित कलाकार विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आएंगे:

संगीत

फिल्म “इमरजेंसी” में कुल पाँच गाने हैं, जिनमें से चार गाने जी. वी. प्रकाश कुमार ने और एक गाना अर्को ने संगीतबद्ध किया है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर संचित बलहारा और अंकित बलहारा ने तैयार किया है। गानों के बोल मनोज मुंतशिर ने लिखे हैं।

पहला गाना “सिंहासन खाली करो” 26 अगस्त 2024 को रिलीज़ किया गया।

गानों की सूची:

रिलीज़

फिल्म “इमरजेंसी” को शुरू में अक्टूबर-नवंबर 2023 में रिलीज़ करने की योजना थी, लेकिन इसे 14 जून 2024 तक स्थगित कर दिया गया। इसके बाद लोकसभा चुनावों के कारण इसे फिर से टाल दिया गया और नई तारीख 6 सितंबर 2024 तय की गई।

सेंसर बोर्ड और विवाद

30 अगस्त 2024 को कंगना रनौत ने दावा किया कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) से सर्टिफिकेट मिलने में बाधा आ रही है, संभवतः बाहरी दबावों के कारण। इसके अलावा, तेलंगाना सरकार ने सिख समुदाय के सदस्यों की आपत्तियों के चलते फिल्म पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार किया।

अंतिम स्वीकृति

17 अक्टूबर 2024 को कंगना रनौत ने सोशल मीडिया पर घोषणा की कि फिल्म को आखिरकार CBFC द्वारा मंजूरी मिल गई है। अब फिल्म 17 जनवरी 2025 को रिलीज़ के लिए तैयार है।

फिल्म “इमरजेंसी” की कहानी

फिल्म “इमरजेंसी” भारतीय राजनीति के इतिहास के सबसे विवादास्पद दौर, 1975-77 के आपातकाल पर आधारित है। इस अवधि में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था, जिसने भारतीय लोकतंत्र को गहराई से प्रभावित किया। फिल्म इस ऐतिहासिक घटना को जीवंत करते हुए इंदिरा गांधी की दृष्टि, उनके संघर्ष, और उनके फैसलों की कहानी पेश करती है।

कहानी की शुरुआत 1970 के दशक की पृष्ठभूमि से होती है, जब इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत एक आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा था। एक ओर, विपक्षी दल इंदिरा गांधी पर तानाशाही के आरोप लगा रहे थे, और दूसरी ओर, उनके खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चुनाव में भ्रष्टाचार का फैसला सुनाया। इसी दौरान, जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में “संपूर्ण क्रांति” आंदोलन ने देशभर में जनसाधारण को संगठित कर दिया।

फिल्म इंदिरा गांधी के निजी और राजनीतिक जीवन के उस नाजुक समय को उजागर करती है जब उन्होंने देश में आपातकाल लागू करने का ऐतिहासिक और विवादास्पद निर्णय लिया। इसके तहत नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई, और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया।

फिल्म में जयप्रकाश नारायण (अनुपम खेर) के नेतृत्व में विपक्षी दलों के संघर्ष को भी प्रमुखता दी गई है। जयप्रकाश नारायण के भाषण और उनके आंदोलन ने देश के युवाओं और जनता को बड़ी संख्या में जोड़कर इंदिरा गांधी के खिलाफ माहौल तैयार किया।

इंदिरा गांधी के परिवारिक जीवन की झलक भी फिल्म में दिखाई गई है। संजय गांधी (विशाक नायर) के महत्वाकांक्षी लेकिन विवादास्पद योजनाओं, जैसे जबरन नसबंदी अभियान और शहरी विकास कार्यक्रम, ने भी इस दौर को और अधिक संवेदनशील बना दिया।

फिल्म में फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ (मिलिंद सोमन) और अन्य ऐतिहासिक किरदारों के जरिए यह दिखाया गया है कि इंदिरा गांधी ने किस तरह अपने फैसलों को सैन्य और राजनीतिक दृष्टि से लागू किया।

“इमरजेंसी” सिर्फ इंदिरा गांधी की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस दौर में भारतीय जनता, विपक्षी नेताओं, और लोकतंत्र के प्रति लोगों की भावनाओं को भी दर्शाती है। यह फिल्म दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर करती है कि आपातकाल जैसे कदम किस हद तक सही या गलत हो सकते हैं।

कहानी का क्लाइमेक्स उस क्षण पर केंद्रित है जब जनता पार्टी की एकजुटता और जनमत के दबाव ने इंदिरा गांधी को आपातकाल हटाने और 1977 के चुनावों की घोषणा करने पर मजबूर कर दिया। चुनावों में उनकी करारी हार और विपक्ष की विजय यह संदेश देती है कि भारत में लोकतंत्र कितनी गहराई तक जड़ें जमा चुका है।

“इमरजेंसी” न केवल इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि सत्ता और लोकतंत्र के बीच संतुलन बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

 

यह तस्वीर फिल्म "इमरजेंसी" के उस भावनात्मक और ऐतिहासिक पहलू को व्यक्त करती है,
“जब लोकतंत्र सत्ता की पकड़ में था: इमरजेंसी के दौर की अनकही दास्तान।”

You may also visit here –https://en.wikipedia.org/wiki/Emergency_(2025_film)

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