मानद कैप्टन हवा सिंह
मानद कैप्टन हवा सिंह (जन्म: 16 दिसंबर 1937, उमरवास, पंजाब; वर्तमान हरियाणा – निधन: 14 अगस्त 2000, भिवानी, हरियाणा) भारतीय हैवीवेट मुक्केबाज थे। उन्होंने भारतीय और एशियाई शौकिया मुक्केबाजी में एक दशक तक अपना दबदबा बनाए रखा।
उपलब्धियां
एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता:
1966 एशियाड (बैंकॉक, थाईलैंड)।
1970 एशियाड (बैंकॉक, थाईलैंड)।
यह उपलब्धि अब तक (अगस्त 2008 तक) किसी भी अन्य भारतीय मुक्केबाज ने नहीं हासिल की है।
राष्ट्रीय चैंपियनशिप:
1961 से 1972 तक लगातार 11 बार हैवीवेट श्रेणी में राष्ट्रीय चैंपियन बने।
इनका भारतीय मुक्केबाजी के अग्रणी चेहरों में से एक थे। उनकी मेहनत और प्रदर्शन ने भारतीय मुक्केबाजी को नई पहचान दी।
इनका श्योराण का जन्म 16 दिसंबर 1937 को हरियाणा (तत्कालीन पंजाब) के एक जाट परिवार में हुआ था। वह भारतीय मुक्केबाजी के दिग्गजों में से एक माने जाते हैं।
प्रारंभिक जीवन और करियर
भारतीय सेना में शामिल होना: हवा सिंह ने 1956 में भारतीय सेना में भर्ती ली।
पहली सफलता: 1960 में उन्होंने गत विजेता मोहब्बत सिंह को हराकर पश्चिमी कमान के चैंपियन का खिताब जीता।
राष्ट्रीय चैंपियन: 1961 से 1972 तक लगातार 11 वर्षों तक उन्होंने हैवीवेट श्रेणी में राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीती।
एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक:
1966 (बैंकॉक, थाईलैंड)।
1970 (बैंकॉक, थाईलैंड)।
सम्मान और पुरस्कार
अर्जुन पुरस्कार: 1966 में उन्हें भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
द्रोणाचार्य पुरस्कार: 1999 में उन्हें कोचिंग में उनके योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया गया।
सेवानिवृत्ति और कोचिंग
कोचिंग और भिवानी बॉक्सिंग क्लब: सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने कोचिंग शुरू की और भिवानी बॉक्सिंग क्लब के सह-संस्थापक बने।
इस क्लब ने भारत को कई प्रतिष्ठित मुक्केबाज दिए, जिनमें ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह भी शामिल हैं।
मृत्यु
इनका का निधन 14 अगस्त 2000 को भिवानी में हुआ। यह उनकी द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्ति से मात्र 15 दिन पहले की बात है। इनका का भारतीय मुक्केबाजी में योगदान और उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी आज भी प्रेरणा स्रोत हैं।
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